बिहार डिजिटल चुनाव 2025 : जाति, युवा, डिजिटल की टक्कर

बिहार डिजिटल चुनाव 2025 : जाति, युवा, डिजिटल की टक्कर

बिहार डिजिटल : इस बार का चुनाव सिर्फ “चुनाव नहीं” पूरे देश में सियासी हलचल करने वाला है।
हर गांव – ढाणी में सिर्फ एक बात में रुचि की “चुनाव 2025 की क्या स्थिति है”
“इस बार कौन जीत रहा है?”

जिसके बात शुरू होती सबकी लंबी चर्चा–
किस जाति का वोट किसे जाएगा, कौन नेता किसकी जाति का है, उसकी क्या अच्छाई, बुराई, आजकल नया ट्रेंड चला जिसमें व्हाट्सएप पर हर कोई एक्सपर्ट बन गया।

बिहार चुनाव 2025 कुछ अलग प्रकार के है।
अब केवल जाती, धर्म या पार्टी नहीं,
चुनावी समीकरण, युवा पीढ़ी का गुस्सा, डिजिटल प्रचार – तीनों का मिश्रण “चुनावी सियासत” में भूचाल लाने वाला है।

युवा वोटर्स का रुझान 2025 में किस ओर : ग्राउंड रिर्पोट


जाति: बिहार चुनाव की बड़ी चिरंजीवी

बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा तंत्र – जाति गत समीकरण और चाल।
यहां नेता विकास के मॉडल से ज्यादा, जाति का आधार और समीकरण का ज्ञान रखते है।

  • Yadav + Muslim = RJD का बेस और पारंपरिक वोट
  • RJD का यह बरसो पुराना और स्थाई वोट बैंक माना जाता है (मुस्लिम+यादव) तेजस्वी के लिए रामबाण

लेकिन, खेल इस बार AIMIM ने पलटा क्यों “ओवैसी” की यह पार्टी दमखम के साथ मुस्लिम वोटर्स को प्रभावित कर रही है।
जो तेजस्वी यादव के लिए मुसीबत खड़ा करेगी।

बिहार डिजिटल चुनाव 2025 : जाति, युवा, डिजिटल की टक्कर

BJP का ‘EBC कार्ड’ – हर पिछड़ा हमारे साथ

बीजेपी को यादव वोट मिलना नामुमकिन लेकिन इस बार नया कार्ड चलाया।

EBC मतलब अति पिछड़ा वर्ग।

NDA द्वारा महिला, ग्रामीण, दलित – वोटर्स को जोड़ने कोशिश चल रही है।


केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को NDA के साथ लाकर, दलित समुदाय में मजबूती की कोशिश हो रही है।


साथ ही मोदी फैक्टर, राम मंदिर और राष्ट्रवाद जोरो पर।

जानिए डिजिटल वोटिंग और जाति समीकरण कैसे बदल रहे

नीतीश कुमार – गठबंधन के मास्टर या सबकुछ खत्म?

नीतीश कुमार ने बिहार में गठबंधन से बरसो राज किया “अब जनता उलझन में”।


क्योंकि,”कभी NDA से INDIA में पलटी, कभी वापिस NDA में।

हालांकि “कुर्मी समुदाय” में अभी भी नितिश का थोड़ा वर्चस्व लेकिन जनता का सवाल?
“नीतीश बाबू किसके साथ है, और कब तक पलटी मरेंगे?”


युवा वोटर: अब बस वादा नहीं, काम चाहिए

बिहार का युवा शिक्षित हो रहा है, अब जातिवाद और लालच की जाल में फसाना मुश्किल।

बेरोजगारी – हर छात्र का ज़ख्म

हर दूसरे घर में एक बच्चा BPSC, SSC, Railway की तैयारी कर रहा है।
लेकिन सरकार की विफलता से:

  1. पेपर लीक
  2. सिस्टम फेल
  3. भर्ती रद्द
  4. जातिगत नियुक्ति

तेजस्वी यादव का वादा था कि “हम 10 लाख नौकरियों निकलेंगे”? अब युवा पूछ रहे है भईया क्या हुआ वादे का’?

बीजेपी का वादा का वादा था “हम बिहार को स्किल दे रहे है, रोजगार मेला लगा रहे, लेकिन जनता पूछ रही है अब वादों पर

अनुभवी चेहरे नहीं, जिम्मेदार नेता चाहिए

युवाओं इस डिजिटल जमाने में 70 साल के नेता, बल्कि स्मार्ट और सोशल मीडिया पर एक्टिव नेता चाहिए।
जो हर समस्या के अपडेट को पढ़े और इलाको कि समस्या फोन पर सुलझाए।

इस युग युवा बोलता है, सवाल करता है, और विचारता

  1. डिजिटल रणभूमि: अब नेता जेब में बैठा है

इस डिजिट युग में , न पोस्टर की जरूरत है, न भाषण की “नेता पार्टी का सारा व्यक्तित्व और कुंडली मिल जाती है।

BJP – डिजिटल गेम में सबसे आगे

हर पंचायत के बूथ में बीजेपी का IT सेल सदस्य है।
हर जगह जैसे WhatsApp, फेसबुक पर मोदी की रील, फोटो आ जाते है।

मोदी के हर बड़े मुद्दे और स्कीम सबसे पहले हर फोन में पहुंच जाते है।
इस मैनेजमेंट के लिए एक अलग से टिम है जो यह सब हैंडल करती है।

RJD – तेजस्वी भी अब स्मार्ट हो गए हैं

तेजस्वी ने भी अपने आप को युग के साथ ढाल दिया।
अब वह भी हर खबर की ट्वीट करते है, रील डालते है एक्टिव रहते है।

जिसपर युवा सोशल मीडिया के माध्यम से RJD दल की झुक रहे है और तेजस्वी के दीवाने हो रहे है।

अफवाहें – सबसे बड़ा खतरा

राजनीति में सोशल मीडिया जितना फायदा करता है, इतना खतरनाक भी जैसे

  1. पुराने वीडियो वायरल
  2. पुराने वादों के क्लिप
  3. विपक्षी द्वारा दुरूपयोग

इसलिए 2025 का चुनाव सिर्फ नेता बनाम नेता नहीं,
बल्कि सच बनाम झूठ, और सोच बनाम प्रचार का भी युद्ध है।


2025 का चुनाव – जाति + युवा + मोबाइल = नई सियासत

अगर आप सोचते हैं कि बिहार का चुनाव पहले जैसा होगा –
जहां नेता जाति जोड़कर जीत जाते थे – तो एक बार फिर सोचिए।

इस चुनाव में तीन ताकतें मैदान में हैं:

  1. जाति – जो अब भी वोट बैंक बनाती है
  2. युवा –जिसके मन में सवाल, वो रोजगार चाहता है।
  3. मोबाइल – जो चुनाव को तेज गति, और डिजिटल बना रहा है।

अब लड़ाई सिर्फ कुर्सी की नहीं,
भविष्य की है।

अब देखना है –

कौन जातीय समीकरण को स्मार्टली मैनेज करता है?

कौन युवाओं के सवालों का जवाब देता है?

और कौन धरातल पर युवाओं के सवालों का सामना करता है।

2025 का बिहार चुनाव बता देगा –
कि जनता अब भी “जाति” पर वोट देती है
या काम के आधार पर सरकार चुनती है।

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